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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

परिंदो ने लाखों अश्क़ बहाये होंगे

आंधी तूफ़ाँ ने जब मिलकर इतने पेड़ गिराए होंगे
बेघर हुए परिंदों ने तो लाखों अश्क़ बहाये होंगे

अपने अपने दर्द सभी के मगर सभी के दिल टूटे हैं
पेड़ों के वासिदों ने ख़ुद ही जख्म सहलाये होंगे

फिर ढूंढेगे नया बसेरा बस हिम्मत के बलबूते पर
टूटे पँख लिए बेचारे दूर कहाँ तक उड़ पाए होंगे

तिनका तिनका फिर ढूंढेंगे मिले कहां दाना पानी
आंगन में बिखरे दाने भी डर से ना खा पाए होंगे

सारी सुख सुविधा पाकर हरदम रोता है दास बहुत
जीना सिखलाने खुदाने बाक़ी जीव बनाये होंगे II




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह शिवचरन जी, खूबसूरत रचना।सब कुछ लुट जाने के बाद भी जिंदगी खतम नहीं हो जाती। जहां में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी जरा सी मदद जिंदगी को फिर सम्हलने देती है। भावमयी सुंदर चित्रण किया है आपने। फिर ढूंढेंगे नया बसेरा,टूटे पंख लिए हुए, वेदना को फिर से सहलाने के लिए, सुंदर शब्द संयोजन, वाकई सुंदर चित्रण किया है सर जी, नमस्कार!

शिवचरण दास replied

बहुत बहुत शुक्रिया नमस्कार मनोज जी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

दुख और संघर्ष की वेदना को इतने सहज और मार्मिक ढंग से बयाँ करती है कि मन डूब जाता है। "टूटे पँख लिए बेचारे दूर कहाँ तक उड़ पाए होंगे" — इस पंक्ति में पूरी उम्मीद और हिम्मत की कहानी समाई है। सचमुच, दिल को छू लेने वाली रचना है - सादर प्रणाम आदरणीय

शिवचरण दास replied

प्रणाम अशोक जी आभार आभार

श्रेयसी said

वाह क्या कहने लाजवाब बहुत सुंदर 👌👌 आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

शिवचरण दास replied

प्रणाम श्रेयसी जी आभार

पवन कुमार "क्षितिज" said

बहुत भावपूर्ण रचना 👌 इंसान की मूल प्रवृति तो ऐसी ही है..दया और करुणा से भरी..👌

शिवचरण दास replied

आपकी इनायत शुक्रिया पवन जी

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