कापीराइट गीत
वो देखते हैं मुझ को शक की निगाह से
गुजरूं तो कैसे गुजरूं अब उनकी राह से
ये प्यार, ये दुनियां, है झूठी, सी कहानी
कह रही हैं ये आंखें अब प्यार की कहानी
जाऊं तो कैसे जाऊं मैं उन की राह से
गजरूं तो कैसे ......................
साहिल जिसे डुबोए तो लहरें क्या करेंगी
अपने ही छोड़ दें तो ये दुनियां क्या करेगी
हम हो गए हैं घायल यूं अपनी निगाह से
गुजरूं तो कैसे ......................
रक्खा ही क्या है इस जिन्दगी में अब
कब तक जिएंगे ऐसे इस जिन्दगी में अब
अब कैसे करूं मैं तौबा अपने गुनाह से
गुजरें तो कैसे .......................
जो थाम ले यह हाथ दिखता नहीं कोई
इस अजनबी जहां में मिलता नहीं कोई
गिरते हैं बार-बार हम अपनी निगाह में
गुजरें तो कैसे .......................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है