मुझे गर्व है कि मैं उस पावन धरती से हूँ,
जहाँ नालंदा और विक्रमशिला की शिक्षा की गूँज
संपूर्ण संसार में सुनाई देती है।
जहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान का प्रकाश फैलाया,
जहाँ महावीर ने अहिंसा और सत्य का संदेश दिया।
जहाँ सम्राट अशोक ने युद्ध के बाद शांति की राह चुनी,
जहाँ उनके शिलालेख आज भी न्याय और करुणा की मिसाल हैं।
मुझे गर्व है कि मैं उस पावन धरती से हूँ,
जहाँ चाणक्य की नीति ने सत्ता को दिशा दी,
जहाँ उनकी विद्वत्ता ने भारत को एकता का सूत्र दिया।
जहाँ बेटियों को बोझ नहीं, लक्ष्मी माना जाता है,
जहाँ नारी को सम्मान और शक्ति का रूप समझा जाता है।
जहाँ करुणा और अहिंसा की नींव पड़ी,
जहाँ बौद्ध और जैन धर्म का प्रकाश पूरे विश्व में फैला।
मुझे गर्व है कि मैं उस पावन धरती से हूँ,
जहाँ लीची, मधु और मखाने की मिठास है,
जहाँ उपजाऊ भूमि अन्न और सुख-समृद्धि का आधार है।
जहाँ कला, संस्कृति और ज्ञान का संगम है,
जहाँ लोकगीतों और नृत्य में मिट्टी की सुगंध बसती है।
जहाँ हर सुबह नई उम्मीदों की किरण लाती है,
जहाँ हर संध्या संघर्ष की कहानियाँ सुनाती है।
मुझे गर्व है कि मैं उस पावन धरती से हूँ,
जहाँ सभ्यता की अमूल्य धरोहर आज भी जीवंत है,
जहाँ प्राचीन गौरव और आधुनिक विकास साथ चलते हैं।
जहाँ संघर्ष के बावजूद एकता और भाईचारा बना रहता है,
जहाँ विविधता में भी एक सूत्र में बँधा समाज बसता है।
जहाँ नदियाँ कल-कल बहती हैं, खेत लहलहाते हैं,
जहाँ पर्वतों की ऊँचाइयाँ साहस और संकल्प की प्रतीक हैं।
मुझे गर्व है कि मैं उस पावन धरती से हूँ,
जहाँ इतिहास भी प्रेरणा देता है, वर्तमान भी स्वर्णिम है,
जहाँ हर पीढ़ी अपने कर्तव्य से राष्ट्र को आगे बढ़ाती है।
जहाँ से सभ्यता की किरणें पूरे विश्व में फैलीं,
जहाँ मिट्टी में इतिहास की खुशबू बसती है।
जिसने विश्व को ज्ञान, प्रेम और अहिंसा का संदेश दिया है।
यह धरती वीरों, संतों और महापुरुषों की जन्मभूमि है,
मुझे गर्व है कि मैं उस पावन धरती से हूँ,
और मैं इस मिट्टी की संतान होने पर गर्व महसूस करती हूँ!
मैं उसी बिहार की बेटी हूँ और मुझे इस पर गर्व है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




