कुछ देरी तक हवा मचलने वाली नही।
सुलग ले कुछ और धधकने वाली नही।।
गीले इंधन को समय लगता जलने में।
ये जलने की कहानी बदलने वाली नही।।
दबाना उतना अच्छा कि बुझ भर जाए।
इस तरह उसकी जलन जाने वाली नही।।
मीठे शबाब की आस में 'उपदेश' गुजरे।
वो आदत से मजबूर चमकने वाली नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद