कविता - हे मेरी जुबान....
हे मेरी आन
हे मेरी शान
हे मेरी जान
हे मेरी मान
हे मेरी गान
हे मेरी तूफान
हे मेरी मुस्कान
हे मेरी जुबान
तुम तड़प रही कहां ?
मैं तड़पता यहां
आओ न इधर
नहीं तो जाऊंगा... गुजर
नहीं तो जाऊंगा...गुजर.......
netra prasad gautam