एक मुकाम आया गुजर गया हवा के साथ।
अब फिर टीस उठने लगी सर्द हवा के साथ।।
दरिया में पाँव रखते ही जलन सी होने लगी।
कोई करीब आया होगा तेज लहर के साथ।।
मौसम फिर से आएगा वो सीने से लगाएगा।
रात बीत जाने दे 'उपदेश' नई सहर के साथ।।
खुशी के फूल खिलेंगे दिल के मसले मिटेगे।
उसका मन भी करेगा आती बहार के साथ।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद