(हास्य- व्यंग्य)
फर्जीवाड़े का पर्दाफाश
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
अब तो बेईमानों को, रात दिन ख्वाबों में,
फांसी का फंदा नजर आता है, हर पल की बातों में।
अंकी इंकी फंकी मंकी डंकी टंकी लाल, ये सब कांप रहे हैं,
फर्जी दस्तावेजों का खुल रहा है ताला, अब सब राज सामने ला रहे हैं।
किस्मत खराब थी, मिल गया एंट्री करप्शन टीम से इनका साला,
कह रहा है, "चोरों को गधे पर बैठाओ, मुंह काला करवाओ।"
जूते की माला भी पहनाओ, और शर्मिंदा करो इनको,
जिन्होंने फर्जी कागजों से, ठगा था हर एक जन को।
सरकारी दफ्तरों में फैलाया, इन्होंने झूठ का जाल,
फर्जी डिग्रियाँ, फर्जी नियुक्तियाँ, किया सबका बेहाल।
सोचा था कोई नहीं पकड़ेगा, उनका ये फर्जीवाड़ा,
पर सच्चाई की लाठी से, टूट गया उनका घड़ा।
ये हास्य-व्यंग्य है उन पर, जो सिर्फ फर्जीवाड़ा करते हैं,
और दूसरों को धोखा देकर, अपनी जेबें भरते हैं।
कितना भी छुपा लो पाप को, एक दिन वो सामने आता है,
कर्मों का फल मिलता है, ये ही तो सब जानता है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




