कैसे बयां करूं मैं हाल अपना
आजकल मैं ज़रा बेहाल सी हूं।
कैसे बता दूं मै पता अपना
ख़ुदमे अभी जो लापता सी हूं।
कैसे जतला दूं मै खयाल अपना
बेफिक्र भी हूं तो मशगूल सी हूं।
कैसे खोल दूं हर राज़ अपना
सारे पन्ने उलटकर भी तो बंद सी हूं।
कैसे बोल दूं मै नाम अपना
नाम होकर भी तो खुदमे बेनाम सी हूं।
कैसे दे दूं मैं जवाब अपना
बेधड़क तो हूं पर बेज़ुबान सी हूं।
कैसे समझादूं वो सवाल अपना
जिससे मै भी थोड़ी अंजान सी हूं।