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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

दुनिया वाले

समझ गई अब मैं इस दुनियां को,
यहाॅं अपनों के अलावा कोई अपना नहीं।
बेदर्दी है सभी यहाॅं,
यहाॅं किसी को किसी की परवाह नहीं।।

कभी-कभी परायों को भी,
अपना बना लेते हैं हम। दगा ऐसा देता है वो कि,
कहीं के भी नहीं रहते हैं हम।।

लगता है इन दुनियां वालों को नफ़रत बहुत है मुझसे, तभी तो हर वक्त दिल मेरा दुःखाते रहते हैं।
पता नहीं क्या खुशी मिलती है इन्हें ऐसा करके,
जो मुझे रुलाते रहते हैं।।

इन्हें काम नहीं अपने काम से,
दूसरों के काम में टांग अड़ाते हैं।
इन्हें अपनी तो बुराइयां भी दिखती नहीं,
और दूसरों की तो अच्छाइयों को भी बुरा बताते हैं।
- रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Lekhram Yadav said

कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत न जाए रेना। मेरी प्यारी बहना आपकी रचना ने एक पुराने फिल्मी गीत की याद ताजा कर दी। अच्छी रचना है।

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

Shyam Kumar said

Logo ka kam ha khna.. dyan hi mat do. Aapne bahut ache se smjhayaa sb kuch.

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत धन्यवाद

Muskan Kaushik said

Insan apne dukh se dukhi nHi h ..dusre ke sukh se dukhi h. Yhi sachai h aaj kal ki.

कमलकांत घिरी said

वाह रीना दीदी क्या खूब लिखा, आज मन भी कुछ ऐसी ही रचना पढ़ना चाहता था, सही वक्त में सही रचना पढ़ने को मिला। इसके लिए तालियां 👏👏👏 मेरा प्रणाम स्वीकार करें 🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया भाई🙏 प्रणाम स्वीकार

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