सफर मे ट्रैन के अकेले थे हम
बैठे थे सीट पर कोई ना था पास
मन हो रहा था थोड़ा उदास
कभी बाहर देखते कभी अंदर
ना बन रही थी कोई आस
और अगले ही क्षण कमाल हो गया
मन प्रफुल्लित,दिल रोमांचित हो गया
खून मे नया जोश शुरू हो गया
जैसे सूखे रेगिस्तान मे
बारिश का अम्बार हो गया
एक सूंदर लड़की का आगमन
मानो सूखा हुआ बाग
फिर से गुलजार हो गया
बैठ गयी हमारे सामने मुस्कुराते हुवे
हमारा दिल गुले गुलजार हो गया
गोरे गोरे गाल उसके
काले काले नयन
ऊपर से लम्बी जुल्फों का साया
जैसे सुनहरी धूप मे गिरता झरना
जैसे सुबह सुबह गुलाब का खिलना
और हमारा दिल उससे बात करने का
तलबगार हो गया
नज़र उठी,हमारी नज़रों से मिली
मुस्कुराकर जो देखा उसने
उसकी नज़रों का खंज़र
दिल के पार हो गया
बाहर थी पूरी खामोशी
लेकिन अंदर शोर हो गया
एक्सक्यूज़ मी,एक्सक्यूज़ मी
उसकी मीठी मीठी आवाज
मानो कानों मे गिटार का नांद हो गया
और इस तरह हमारी बातचीत का
सुनहरा दौर शुरू हो गया
पहले लग रहा था
ट्रैन धीमी चल रही है
और अब उसका तेज़ चलना
दुश्वार हो गया
अगले ही पल फिर से एक चमत्कार हो गया
वो उठकर मेरे बगल मे आ बैठी
अब मेरा दिल जोर से धड़का
मै ना जाने किन किन ख्यालो मे खो गया
वो बोले जा रही थी मुस्कुराकर
मै सुनने वाला बहरा इंसान हो गया
उसके हाथ का जो स्पर्श हुआ
मुझ पर जैसे नशा सा हो गया....
----गोविन्द सेंगल

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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