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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हरियाणा


मैं दूध दही का खाना हूँ,
बांगर का देसी बाना हूँ,
खड़ी बोली का ताणा हूँ,
लठ् त मार भजाना हूँ,
जित चालै इभी चौधर बाप की,
मैं वो ए तो हरियाणा हूँ,

मैं लापसी, मैं गोजी हूँ,
मैं बाजरे की रोटी हूँ,
मैं कुश्ती का अखाड़ा हूँ,
मैं मास्टर जी का पहाड़ा हूँ,
मैं देश का मान बढ़ाना हूँ,
छोरा-छोरी में कोई फर्क नहीं,
मैं वो ए तो हरियाणा हूँ,

मैं अनु मालिक का गाना हूँ,
मैं जैमिनी सर का हँसाना हूँ,
मैं सरसो का खेत सुहाना हूँ,
मैं शेफाली का शतक लगाना हूँ,
मैं कल्पना का आसमान जाना हूँ,
मैं मानुषी का ताज लाना हूँ,
मैं रणदीप सा दीवाना हूँ,
मैं मल्लिका सा मस्ताना हूँ,
मैं केजरीवाल सा शयाना हूँ,
हर काम में जिसका डंका बाजै,
मैं वो ए तो हरियाणा हूँ,

मैं यारी का निभाना हूँ,
मैं हँसने का बहाना हूँ,
मैं कृष्ण का गीता सुनाना हूँ,
अर्जुन का सुनते जाना हूँ,
मैं नरसी सा मनमौजी हूँ,
मैं बॉर्डर पे तना फौजी हूँ,
मैं दुश्मन का खून सुखाना हूँ,
मैं वीरों का लहू बहाना हूँ,
हँसते-हँसते जो मिट जाए वतन पर,
मैं वो ए तो हरियाणा हूँ।

जय हिंद।
जय भारत।

लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Shiv Charan Dass said

वाह वाह हरियाणा के देसी ठाठ की बात ही अलग है

Ritesh Goel replied

धन्यवाद शिव चरण जी, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏।

वन्दना सूद said

sir,हर शब्द , हर पंक्ति अपने देश से जोड़ती है और मन में देशभक्ति की भावना को जागृत करती है 🇮🇳🇮🇳

Ritesh Goel replied

धन्यवाद वन्दना जी, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏।

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