सुन मोर भइया,अरजी ले जइहा
जइहा नबी जी के धाम हो
कइहा कइहा हमारो सलाम हो
जब जब आथे हज के महीना
जियरा तरसे जाय ल मदीना
जातेंव नबी जी के धाम हो....
धन दौलत मोर पास नहीं हे
अऊ तो कहूं के आस नहीं हे
तहीं मोर दुनिया जहान हो......
जउने मैं होतेंव पंख पखेरिया
उड़ उड़ जातेंव तो दुवरिया
मैं हंव नबी के गुलाम हो.....
कहिथे "समदिल" मैं हंव अभागी
मन मन खोजंव बन बैरागी
मन में नबी के ही नाम हो.....
मुंह से निकलय नाम नबी के
नाम नबी के,नाम नबी के
छूटत मोर परान हो .…...
कइहा कइहा हमारो सलाम हो
कइहा कइहा हमारो सलाम।।
सर्वाधिकार अधीन है