चाँद से बातें करूं तेरी
मैं इस घनेरी रातों में चमकती चांद से बातें करूं तेरी,
जो इश्क़ सिखा है मैंने तुमसे वो बातें सारी याद करूं तेरी,
कटता है हर पल हर लम्हा एक तेरी कमी से,
करूं मैं चांद से शिकायत हर पल इस दीवाने के तेरी,
जितने पास नैनो के काजल होते हैं,
इतने पास तेरे रहना चाहती हूं,
मैं तेरे प्यार के समंदर की लहरों में, एक बार डूबना चाहती है,
इश्क़ मुकम्मल हो जाता मेरा,
तुझे सोचते ही मैं तुझ में समा जाती हूं,
मैं खामोशियों के पर गिनते हुए आसमानों को तकती हूं,
करते हैं सौदा वहां तुम्हें पाने के लिए,
मैं हर रोज उनसे लड़ती हूं,
मुस्कुराता हुआ चांद से मैं हर रोज तेरी शिकायत करती हूं,
करती हूं सवाल उनसे और खुद ही जवाब देती हूं,
मैं उसे मुस्कुराते देखने के लिए एक वजह ढूंढती हूं,
मैं उससे थोड़ा दूर हो के मैं उसे खुद ही परेशान करती हूं,
मैं इश्क की लड़ाइयां हर बार लड़ती हूं,
मैं हर रोज उसे बेपनाह प्यार करती हूं,
बेपनाह प्यार करती हूँ....।।
- सुप्रिया साहू

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




