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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हमने आपसी रंज़िशों के चलते - दार्शनिक गीत -वेदव्यास मिश्र

हमने आपसी रंज़िशों के चलते,
मिलना-जुलना ही बंद कर दिया !!
और वो हैं कि आज भी,
मुलाक़ातों पे मुलाक़ात करते रहे !!

मैं सोचता रहा रात भर कि,
आखिर हममें से समझदार कौन ??
हम एक दूसरे से बचते -छिपते रहे,
और वो हैं कि दिन भर गले मिलते रहे !!

अब तो समझ जाओ..संभल जाओ भी ऐ दोस्त,
नफ़रतों से सिर्फ ज़िन्दगी ही कम होती है !!
हम जीत कर भी हाथ मलते रहे,
वो हारकर भी खुशी से हाथ मिलाते रहे !!

बात आई-गई हो चुकी है उनकी,
नज़रों में ज़रा मानो तो सही !!
वो कब के निकल चुके हैं क़यासों की मेहफ़िल से,
और हम हैं कि बेवजह उनके,
चेहरों की भाव-भंगिमायें गिनते रहे !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Kapil Kumar said

Bahut ache sir..

वेदव्यास मिश्र said

Kapil Kumar जी, सधन्यवाद आभार 🙏🙏💜💜🙏🙏

Amit Shrivastav said

Bahut sundar bahut umda.

वेदव्यास मिश्र said

Amit Shrivastav जी, बहुत-बहुत आभार श्रीवास्तव जी !! सादर सप्रेम नमस्कार 🙏🙏

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