हमने आपसी रंज़िशों के चलते,
मिलना-जुलना ही बंद कर दिया !!
और वो हैं कि आज भी,
मुलाक़ातों पे मुलाक़ात करते रहे !!
मैं सोचता रहा रात भर कि,
आखिर हममें से समझदार कौन ??
हम एक दूसरे से बचते -छिपते रहे,
और वो हैं कि दिन भर गले मिलते रहे !!
अब तो समझ जाओ..संभल जाओ भी ऐ दोस्त,
नफ़रतों से सिर्फ ज़िन्दगी ही कम होती है !!
हम जीत कर भी हाथ मलते रहे,
वो हारकर भी खुशी से हाथ मिलाते रहे !!
बात आई-गई हो चुकी है उनकी,
नज़रों में ज़रा मानो तो सही !!
वो कब के निकल चुके हैं क़यासों की मेहफ़िल से,
और हम हैं कि बेवजह उनके,
चेहरों की भाव-भंगिमायें गिनते रहे !!
सर्वाधिकार अधीन है