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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हम बालक - धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार

नन्हें मुन्ने बालक हैं,
बड़े हमारे पालक हैं।
साथ उनके रहते हमेशा
गाते जैसे गायक हैं ।

झूठमूठ न जाने हम
छूता कभी न हमको गम
आगे ही बढते हैं देखो
हर कदम, हर कदम ।

देश हमको प्यारा है
हमने लगाया नारा है
मिल-जुलकर रहते हैं जैसे
परिवार एक हमारा है।

खिलते जैसे प्यारे फूल
मन बड़ा ही है निरमल
देते कभी न किसी को शूल
करते कभी न मन से भूल।

धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार,
सोलापुर




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Ankush Gupta said

Sundar baal kavita ✍️✍️👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

🙏 सादर प्रणाम। आपकी यह रचना बच्चों की मासूमियत, संस्कार, और देशभक्ति की भावना को बेहद सरल, मधुर और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है। भाव पक्ष की दृष्टि से रचना अत्यंत समृद्ध है — इसमें बाल सुलभ सरलता के साथ-साथ परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति प्रेम व एकता का सशक्त संदेश है। हर पंक्ति में निश्छलता और सौहार्द की भावना छलक रही है, जो पाठकों के हृदय को सहज ही छू लेती है। कला पक्ष भी सराहनीय है — छंद और तुकांत का सुंदर संतुलन, भाषा की सरलता और प्रवाह इसे बाल कविता के रूप में प्रभावी बनाते हैं। विशेषकर “हर कदम, हर कदम” जैसी पुनरावृत्तियाँ कविता को कंठस्थ करने योग्य बनाती हैं, जो बच्चों के पाठ के लिए उपयुक्त गुण है। आपका काव्य सृजन न केवल प्रेरणास्पद है, बल्कि पाठकों के अंतर्मन को संस्कारों से सींचने वाला भी है।

Kapil Kumar said

Bahut sundar rachna

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