कर बुलंद खुद को इतना की
हर कोई छूना चाहे तो तुझे छू भी ना पाए।
बदल दे किस्मत अपनी।
भूल जा की तू क्या है।
बता दे ज़माने को की तू कौन है।
समय का चश्मा तुझे परख रहा है।
वक्त का तकाज़ा तुझे निरेख रहा है।
दिखा दे तू हुनर अपना
तू किस बात का इंतजार कर रहा है।
वक्त का कारवां कहीं तुझसे आगे ना निकल जाए।
तू वक्त से भी आगे दौड़ जा।
बदल दे तू अपनी सोंच ।
मत ज्यादा तू सोंच ।
कुछ कर के दिखा।
कुछ बन के दिखा।
अपनी मेहनत से अपनी किस्मत को
चमका।
मत भूल कि...........
दुनियां में शक्ल ओ सूरत कोई याद रखता नहीं।
बस रखती याद दुनियां की तू काम आया की नहीं।
बन जा तू सूरज का सातवां घोड़ा।
जग ज्यादा तू सो थोड़ा थोड़ा।
है वही बलवान जो वक्त को तोड़ा।
वर्ना वक्त अच्छों अच्छों को नहीं छोड़ा।
यारों ना लिया वक्त से कुछ भी तो वक्त जो दिया है वह भी ले लेता है।
मुंह से निवाला तो हाथ आई सफलता भी छीन लेता है।
सबकुछ होते हुए भी कुछ भी ना मिल पाता है।
इसीलिए कहता हूं यारों
ज़ोर लगाओ ओ मेरे प्यारों
आज़ गर तुम श्रम करोगे
कल तुम हीं दुनियां पर राज़ करोगे.. ...
कल तुम हीं दुनियां पर राज़ करोगे.....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




