दीवार में लटकते रहे
तुम संसार के मालिक हो
गिरने से टूट जाते घडी
पर समय कभी न टूट जाती
न रुक जाती
वैसे ही इंसान बार बार टूटने पर
समय उसे नये मोड़ से मुलाकात करते
इंसान टूटने पर भी
सिर्फ न रुकने के लिए सबक सिखाते ॥
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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गिरने से टूट जाते घडी
पर समय कभी न टूट जाती
न रुक जाती
वैसे ही इंसान बार बार टूटने पर
समय उसे नये मोड़ से मुलाकात करते
इंसान टूटने पर भी
सिर्फ न रुकने के लिए सबक सिखाते ॥