कुछ दर्द सुलगते हैं सीने में।
गम ही गम मिले हैं हमको जीने में।।1।
कोई तो पूछे हाल-ए- जिन्दगी।
कुछ तो दर्द कम होगा यूं कहने में।।2।।
आदत हुई है दर्द सहने की।
अश्क भी ना बहते हैं अब रोने में।।3।।
अजनबी हूं मैं तेरे शहर में।
दूर कैसे हो तन्हाई तन्हा रहने में।।4।।
उस परिंदे में परवाज़ कैसी।
जो कैद रहा हो हमेशा पिंजड़े में।।5।।
अपना ही दिल रकीब बना।
जिंदगी बिता दी खुद से लड़ने में।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




