अपने अहम् से संघर्ष
न मज़ाक बनाओ उस रचयिता का
जिसने यह संसार बनाया
नहीं बनाए हिन्दु,मुस्लिम,सिख,ईसाई
उसने तो बस इंसान बनाया
जीने की राह हो जाए आसान
इसलिए देवालयों ने भिन्न भिन्न रूप बनाया..
लड़ाई,झगड़े,द्वेष और नफ़रत रखकर दिल में
तुम इंसान भी नहीं बन पाओगे
खेलना चाहते हो जो तुम खून की होली
तो अपना घर भी न बचा पाओगे
कितनी ही आँखों के आसुओं के कारण तुम बन जाओगे
ना समझो!लड़ाई इसे किसी मज़हब की
यह लड़ाई तो केवल झूठे अभिमान की है
जीतने दिया यदि तुमने अपने अहम् को
तो भविष्य में पश्चाताप भी नहीं कर पाओगे
परिवार,देश और समाज की बरबादी के तुम ही ज़िम्मेदार कहलाओगे..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




