गुरूर वेंटीलेटर पर है
आक्सीजन नहीं चाहिए उसे
वो मुक्ति चाहता है....
भगवान भरोसे गर बच गया तो
मुक्ति की युक्ति चाहता है
वो समझ गया है सबकुछ नश्वर है
फिर उसकी विसात क्या है...
खैर गुरूर जानता है के आदमी की असल औकात क्या है...
पुरखे अरसे से बताते रहे हैं के.. गुरूर रावण का टूट गया हमारी विसात क्या??
समझते रहे पर समझ के भी न समझे
बस इत्ती सी बात....
आदमी की नासमझी से गुरूर इसकदर टूट गया
के गुरूर का गुरूर करना आदतन छूट गया
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




