खून में घुल गये दर्द निकालूँ कैसे।
बाँटने को दिल करता बाँटू कैसे।।
नसीब में टटोलती लगता कोने में।
घने अँधेरे में तन्हा वक्त काटू कैसे।।
नौकरी के बिन घर चलाना कठिन।
बेतहासा बेताबी खुद को डाटू कैसे।।
राह-ए-तमन्ना में होश किसको हैं।
दरिया सामाने 'उपदेश' पाटू कैसे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद