कविता - दुवा....
मेरा घर जला कर
आग सेकने वालों
मुझे रोता हुआ
देख हंसने वालों
तुम्हारे साथ कभी ना हो
जो मेरे साथ हुवा है
तुम को दुख कभी ना मिले
यही मेरी दुवा है
तुम को दुख कभी ना मिले
यही मेरी दुवा है.......