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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

घर की बहू टूटी… क्योंकि ननद को ‘भाभी’ रास नहीं आई

क्योंकि भाभी आई थी —
सिर्फ़ साज-सिंगार नहीं,
साथ और सहारा बनने।

पर घर में पहले से
एक औरत बैठी थी —
जो हर रिश्ते पर
“पहले मेरा” का पट्टा लगाकर बैठी थी।

वो भाई की दोस्त थी,
माँ की बेटी,
पिता की दुलारी —
पर भाभी बनते ही उसे लगा,
कोई उसकी सत्ता छीनने आया है।

भाई का हँसना
अब “भाभी के इशारे” पर लगता था।
भाभी की चुप्पी
“घमंड” बन जाती,
और मुस्कराहट —
“दिखावा” कहलाती।

माँ अगर बहू से खुश हो जाए,
तो ननद को लगे —
“मेरी जगह कम हो रही है।”
और भाई —
वो बीच में फँसा कठपुतली बनकर रह जाए।

ननद के इशारे पर
घर की हवा बिगड़ती है,
भाभी की हर बात पर
कमी निकाली जाती है।

और धीरे-धीरे —
एक रिश्ता
जो प्रेम से बना था,
परिवार की ‘अहम की राजनीति’ में
दम तोड़ देता है।

“भाभी अगर बहन नहीं बन पाई,
तो ननद कभी बेटी क्यों नहीं बन पाई?”

शादी सिर्फ दो लोगों की नहीं होती,
पर उसे तोड़ने के लिए
एक ही ‘जहरीली ज़ुबान’ काफी होती है।

ज़्यादातर शादियाँ आजकल ननदों की टॉक्सिक दखल से टूट रही हैं…




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत सच्ची और कड़वी हकीकत बयां की है आपने... हर शब्द जैसे किसी अनकहे दर्द की गवाही दे रहा है। रिश्तों की इस राजनीति को आपने बखूबी उजागर किया है। वाकई सोचने पर मजबूर कर देती है ये पंक्तियाँ...👏💔
आदरणीय Mam, को सादर प्रणाम

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah par hum bachane ki koshish kr rhe par yha sab ulta hi ho rha hai

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut sundar likha apne lajawab aisi nanado ko kya khoob jawab diya apne bahut badhiya

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