घड़ी बिदाई की है आई
बहन अब तू हो गई है पराई।
माँ विलाप करती है
तेरे स्वर्गवासी पिता को याद करती है।
फूट-फूटकर रोता तेरा भाई है
क्यो हो गई बहना आज तू पराई है।
हर किसी की आँखे नम है
तेरे जाने का ये गम है।
सूना हो जाएगा आँगन ये
किसी ओर का आँगन जगमगाएगा।
खालीपन तेरे जाने के बाद कोई भी ना भर पाएगा।
किसी और का घर तू बसाएगी
तेरा घर अब वो ही है
उसे ही तू सजाएगी ।
आएगा कभी बचपन याद
कभी माँ-बाप की याद आएगी।
सबकुछ भूल कर तू ससुराल वालो की सेवा मे लग जाएगी
मरते वक्त्त तक सातो वचन तू पूरे कर जाएगी।
दुनिया मे ये रीत ना जाने किस ने बनाई है
क्यो हर बेटी होती एक दिन पराई है।
-राशिका