दिल का शीशा पल भर मे चूर चूर हो गया।
मौसम बदलते ही लालची दूर दूर हो गया।।
धूप मुस्कुराने लगी दुपहरी का वक्त होगा।
चलते चलते थका पसीना पसीना हो गया।।
अब हवाओ के तमाशे देखने पड़ेगे उम्र भर।
अपना 'उपदेश' कहते लाल पीला हो गया।।
बचपन का पेड़ अब उसके डाली पर घरोंदे।
चहचहाती चंद चिडियों का बसेरा हो गया।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद