ऐसी क्या बात है तुम में
तुम आँखों से दिखते नहीं
फिर भी सबके प्यारे l
ऐसी क्या बात है तुम में
तुम कुछ करते भी नहीं
फिर भी ऊँचे ऊँचे मन्दिर तुम्हारे l
यह है कोई भ्रम
या हमारी कल्पना या डर
या है कोई मानसिक बीमारी
या अंधश्रद्धा
या तुम हो सदियों से
हम रास्ता भटक गए है
जो नहीं है हमारा
उसे हम अपना कह रहे है
पल दो पल की बस्ती हमारी
बाकी यहाँ कौन है ?
मन्दिर-मस्जिद से परे
हे भगवंत...
क्या सच ? क्या झूठ ?
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




