गरीब तुम हटा दो गरीबी से मिटा दो
सरकार यही करती है देखो निति बनती है
मंहगाई को बढ़ाकर खर्च को घटाती है
नेता यही करते हैं और अमीर बनते हैं
लूट मची है सब ओर यहां
दोनों हाथों से लूटते नेता बड़े मस्त है
जनता तो त्रस्त थी आज भी वो पस्त है
गरीब तुम हटा दो गरीबी से मिटा दो
सरकार यही करती है देखो निति बनती है
कोयलें के खेतों में काली कमायी है
बड़े-बड़े काले चोरों की जेबों में समायी है
खेल के मैदान में नेता खिलाड़ी अवतार है
हर क्षेत्र में पैसा उगाहना उनका काम है
घोटालों की भीड़ में उसका ही नाम है
उनका ऐसा ही निराला काम है
गरीब कम नहीं तो गरीब ही मिटा दो
सरकार यही करती है देखो निति बनती है
न्यायालय भी मजबूर हैं तिथियों में चूर है
कैसे सजा दे पापियों को घोटालों का राज है
भारत की जनता तो और ही निराली है
चोर सिरहाने बैठा कर सोती ही जाती है
जो है लुटेरा उसे लूट का लाइसेंस थमाती है
जाने किस विभीषण और राम को तलाशती है
दिल थाम केवल अपनी बरबादी
को निहारतीं है
गरीब तुम हटा दो गरीबी से मिटा दो सरकार यही करती है देखो निति बनती है
✍️#अर्पिता पांडेय