निश्चल करूणा प्रकट हुई,
प्रेम भाव की संकट घड़ी,
कागज स्याही कलम सब कोने में पड़े हैं,
हम आशिक़ वाले ज्ञान से कम दिल से पढ़े हैं,
रूठे को मनाने आते हैं,
और टूट कर हार जाते हैं,
हम दर्दनाक मोहब्बत करते हैं,
और उसी दर्द से अनेक जख्म करते हैं,
ज़ख्म की दवा के लिए दर दर भटकते हैं,
दर दर पर सिर्फ आंसू और उनके ग़म बँटते हैं,
हमारी सांसों में जीने के लिए मरते हैं,
अपनों के लिए गैरों से डरते हैं,
अपने ही भरोसा कब करते हैं,
कल के लिए आज से लड़ते हैं,
पता चला आज के भी संघर्ष करते हैं,
कल के लिए तो सिर्फ मुर्दे चलते हैं,
बस आने वाले को बचाने के लिए,
कलह का घूंट घूंट पी खुद को भरते हैं,
आजाद कोई नहीं है सब जुर्माना भरते हैं,
हम विरह हैं,
इसलिए सांझ को अकड़ते हैं।।
- ललित दाधीच।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




