कारीगरी कोई करके दिल मिला लो।
दरख़्त की छांव में चलकर नहा लो।।
जिस्म तरबतर रूह तक उसका असर।
अंजाम-ए-मोहब्बत से दिल बहला लो।।
तुम्हारी हर साँस टकराए उकसाए मुझे।
डर को छोड़ो सीने से सीना मिला लो।।
पैगाम मोहब्बत का फैलेगा इस तरह।
सुनने वालों को 'उपदेश' जरा जला लो।।
मौसम का क्या तुम्हारी जुल्फे कम नही।
उनको हटाकर चेहरे से चेहरा मिला लो।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद