देखा नहीं गया वो पल
जब हमउम्र भाई बहनों में से एक साथ छोड़ गया
नहीं देखी गई उन हाथों की कम्पन
जो हॉस्पिटल के कागजों पर हस्ताक्षर नहीं कर पा रहे थे
आसान नहीं था देखना उन आँखों का रोदन
जो गले लगे हुए भाईयों की भावनाओं का था
नहीं कर सकते हम उन शब्दों का आँकलन
जो एक दूसरे को बार बार एक ही बात कह कर समझा रहे थे
कि कोई दो साल पहले तो कोई दो साल बाद सब ज़िन्दगी के एक ही पड़ाव पर खड़े हैं
नहीं समझ सकते हम उन जज़्बातों को उस डर को
क्योंकि शायद उस पड़ाव से हम भी दूर हैं ..
वन्दना सूद