कब बदल जायेगे लोग बिना कुछ कहे।
इंसानी फितरत के लफ्ज खड़खड़ाते रहे।।
अपनी अपनी सहूलियत से तनातनी।
अहसान करने वाले जब गिड़गिड़ाते रहे।।
बेवजह कुछ हम अड़े अपनी बात पर।
किसके आगे कमजोर पंख फड़फड़ाते रहे।।
सही और गलत का फैसला नही हुआ।
कुछ वो लड़े 'उपदेश' कुछ हम बड़बड़ाते रहे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




