जहाॅं थे महीनों पहले
फिर वहीं आ गए हम,
ना जाने इस ज़िंदगी से
कितने ज़ख़्म खा गए हम।
कुछ जाना पहचाना ना था
शुरुआत अनजानी थी,
धीरे - धीरे सबकुछ
इतना अपना हो गया
कि अंत से घबरा गए हम।
जहाॅं अपना कुछ ना था
वहाॅं इतना कुछ मिला हमें,
फिर अचानक सब छीन गया
और फिर पहले की तरह ही
अकेले पड़ गए हम।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




