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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं एक अलबेली कातिब

मैं एक अलबेली कातिब
दास्तां तेरी लिखती हूॅं ,
तू अनजान है भलेही मुझसे
पर मैं तुझे बख़ूबी जानती हूॅं।
मैं एक अलबेली कातिब ..........✍

मैं एक अलबेली कातिब
मस्तानी बनी फिरती हूॅं ,
एक अनोखी दास्तां की
खोज खबर में रहती हूॅं।
मैं एक अलबेली कातिब...........✍

मैं एक अलबेली कातिब
दास्तां सभी की लिखती हूॅं ,
कोई मेरी भी दास्तां लिखे
बस इसी उम्मीद में रहती हूॅं।
मैं एक अलबेली कातिब...........✍

मैं एक अलबेली कातिब
मशहूर कातिबों को पढ़ती हूॅं ,
पढ़े कोई मुझ कातिब को भी
यही चाहत रखती हूॅं।
मैं एक अलबेली कातिब...........✍
~ रीना कुमारी प्रजापत






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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। हम तो रोज ही बिना रूके आपकी हर कविता पढ़ते हैं और आगे भी पढ़ते रहेंगे। अगर कभी मोका मिला तो आप पर भी जरूर लिखेंगे, यह वादा रहा अपनी छोटी प्यारी बहना से। तुम खुश रहो और खुशी में लिखती रहो।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया भय्या, दिल खुश हो गया 🙏प्रणाम ,सुप्रभात

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna Pranam Reena mam🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम🙏 धन्यवाद

Shyam Kumar said

Waah...bahut sundar

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku ji

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत सुंदर लिखा बहुत खूब

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद जी

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