शौर्य दिवस है आज, झुके ना शीश किसी वीर का,
गूंजे नभ में नाम अमर हो, हर बलिदानी शूर का।
जिस मिट्टी में जन्म लिया है, वह कण-कण में तेज भरा,
जिस रक्त से इतिहास लिखा हो, वह रक्त नहीं — अंबर धरा।
सीना ताने रण में उतरे, जो प्रलय-नर्तन कर आए,
हँसकर अपना शीश कटाया, पर पीछे पाँव न जाए।
वीरों की वह पावन गाथा, गूंजे नभ के तारों में,
बचपन से बलिदान उगे हों, मां के आँचल-धारों में।
यह पर्व नहीं केवल जय का, यह स्मृति है उस आग की,
जो बुझी नहीं बरसों बीते, लड़ती रही हर राग की।
जय शिवाजी, जय रानी लक्ष्मी, जय भगत, आज़ाद पुकार,
उनके पदचिन्हों पर चलकर, पा सकते नव संसार।
आज शपथ लो, वीर बनो तुम, धर्म, देश पर मिट जाने की,
नव युग की वह मशाल उठाओ, तम की रात हटाने की।
नंद किशोर
09/04/2025