"पिता"
मेरा साहस, मेरी हिम्मत,
मेरी पहचान है पिता
पिता एक उम्मीद है,
एक आस है
परिवार की हिम्मत और विश्वास है।
जीवन का आधार है पिता,
पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
ख़ुशियों की चाभी है पिता,
माँ घर का गौरव,
तो पिता घर का अस्तित्व है।
माँ की सिन्दूर और बिन्दी है पिता,
परिवार की मुस्कान है पिता
कभी अभिमान तो,
कभी स्वाभिमान है पिता,
कभी धरती तो
कभी आसमान है पिता।
संघर्ष की आँधियों में,
हौसलों की दीवार है पिता
ज़िम्मेदारियों से लदी,
गाड़ी का सारथी है पिता
माँ और बच्चों की पहचान है पिता।
हँसी और ख़ुशी का मेला है पिता,
अन्धेरी ज़िन्दगी की राह
दिखानेवाली मशाल है पिता,
जीवन की परेशानियों से,
बचाने वाली ढाल है पिता।
रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव
ममरखा, अरेराज ,पूर्वी चंपारण (बिहार)