हर बार की तरह इस बार भी बस्ती में
वो तूफान तबाही मचाने आ गया है
बस्ती के लोग डरे हुऐ दिख रहे है
कि न जाने आज किस किसके
छप्पर उड़ने वाले हैं
थक गई है मेरी नींद भी
हर रोज़ वही का वही ख्वाब दिखा कर
अगर ऐसा ही सिलसिला आगे भी चलता रहा
तो मेरी आँख की नजर भी कमज़ोर हो सकती है
----परसराम अरोरा

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




