फासला दरमियाँ रहा
जमाना आता रहा, जाता रहा
दूर से जिंदगी की आँखों
में मैं झांकता रहा
कुछ कदम बाकी है
दिल कहता रहा
मैं सुनता रहा
दूर एक कोने पर
मैं बैठा रहा
सैलाब आँखों में सूखता रहा
कत्ल होता रहा
जमाना कत्लगाह बनता रहा
वक्त ज़माने के साथ रहा
बहता रहा, चलता रहा
जमाना आता रहा जाता रहा
फासला बरकरार रहा
दूरियों को सारथि हांकता रहा
होठों का दरवाज़ा बंद रहा
तूफ़ान दिलों में उठता रहा
समंदर पानी उछलता रहा
पथराई आँखों में सूखता रहा
फासला दरमियाँ रहा
जमाना आता रहा जाता रहा