सांसों की रफ़्तार को
फिर से गतिमान किया
ओ बाबा फिर से क्यूं
नया जीवन प्रदान किया ?
अंधेरों से लिपटी
काली रातोंमें उजास किया
ओ बाबा फिर से क्यूं
उम्मीदों को सजीव किया ?
करूणा से दर्द टपके तो
लफ़्ज़ों का आधार किया
ओ बाबा फिर से क्यूं
कलम को गति दे पेश किया?
बुरे न थे... न है.. फिर क्यों
ऐसा उपनाम किया
ओ बाबा परेशान जीवन क्यूं
बहता सागर किया ?