तुमको समझाऐ तो समझाऐ भला कौन तुम हो बड़े मगरूर।
गलती नही है इसमें किसी की भी क्योंकि तुम्हारी परवरिश में है गुरुर।।1।।
बंद कर लो तुम अपने दिल के चाहे तो सब दरवाजे आनें जानें के।
पर एक दिन भीग जाओगे तुम भी पुरे इश्क़ की बारिश में ज़रूर।।2।।
ढूंढ लेगी तुझको मेरी मोहब्बत जाओ कहाँ जाओगे तुम मुझसे दूर।
देख लो बचा के खुद को बचा ना पाओगे ऐसा है मेरा इश्क़-ए-जुनून।।3।।
मेरे महबूब हम तेरी मोहब्बत में सभी हदों से गुजर जाएंगे।
कोई जिद ना है तुझको पानें की बस अपने दिल से है हम मजबूर।।4।।
खुद के हालात काबू में नहीं रहते है इस मोहब्बत में दीवाने क्या करें।
रात भी मदहोश हो जाती है क़मर की चांदनी में ऐसा है इसमें कुछ सुरूर।।5।।
ज़िंदगी में तुम हमको ना समझ सके कोई भी गम नही हमारे दिल को।
पर इंतज़ार हम करेंगें तेरा ज़ालिम तुम चले आना मेरी मय्यत पर जरूर।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




