हुआ ना मन का तो कोई बात नही।
मिला ना साथी दिल का तो कोई बात नहीं।
जीवन की राहें हरी भरीं ।
भाव भंगिमाएं खरीं खरीं ।
ना चाह मिली ना राह मिली
मन का पंछी उड़ता चला।
ना डाल मिला ना पात मिली
फिरभी दीवाना यह बहता गया।
जीवन की धूम में चलता गया ।
जो मिल गया वो मुकद्दर था।
दूर खड़ा समंदर था।
जो था कभी अंदर
वह अब बाहर था ।
कुछ धुंध थी कुछ धुल धूसरित
कुछ कोहरे थे जो चेहरे थे।
पर रौशनी में सत्य सब दिख गया।
प्यार का पंछी बिक गया।
जीवन का सबक सीख लिया।
दुःख दर्द सब पिस लिया।
दर्द सभी वह लील लिया।
अब ना दर्द है न डर है।
बस जीवन सब निर्झर है।
बह रहा सब झर झर है।
बस जीवन यह निर्झर है..
बह रहा सब झर झर है...