आँखें आंखों में बात हो गई मगर दो दिलों की तकरार अभी बाकी है
दिल की हकीकत कौन समझे मिलन के बाद मुहब्बत ख़ाक हो जाती है
प्यार की बातें पढ़ने को मिलती है मोहब्बत की दास्तां मिलने में नहीं है
जिसे देखा नहीं पाना एक चाहत होती है जिसकी चाहत लाज़मी वह दिल में नहीं है
वसी अहमद क़ादरी
वसी अहमद अंसारी