कँहा हो तुम
मैं तेरा इंतज़ार करती हूँ,
कसम तुम्हारी —
मैं तुमसे आज भी प्यार करती हूँ।
यूँ तो बीत गये बरसों
तुमसे जुदा हुए,
पर ख्वाब में
हर रोज़ तेरा दीदार करती हूँ।
क्या तुम्हें मुझ पर
एतबार नहीं है?
कह दो कि अब तुमको
हमसे प्यार नहीं है।
कँहा हो तुम,
मैं तेरा इंतज़ार करती हूँ।
— सरिता पाठक