"ग़ज़ल"
सुबह के वादे तेरे शाम के वादे!
झूठे सभी निकले तेरे काम के वादे!!
होते हैं जिन लोगों के कमज़ोर इरादे!
अक्सर वही करते हैं दिल थाम के वादे!!
तुम्हें कुछ ख़याल है मेरी मुद्दत की प्यास का!
क्या हुए ऐ साक़ी! तेरे जाम के वादे??
मैं ने तो अपना फ़र्ज़ समझ कर अदा किया!
तू ने नहीं किए थे इकराम के वादे!!
मेरी मेहनत-कशी 'परवेज़' जानते हो क्या है?
मुस्तक़बिल में ख़ुशहाली-ए-अय्याम के वादे!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*मुद्दत = बहुत दिनों या बहुत समय (long time); *साक़ी = शराब पिलाने वाला या शराब पिलाने वाली या महबूबा (one who serves wine or sweetheart); * जाम = शराब का प्याला (a goblet of wine); *इकराम = इन'आम या पुरस्कार (award or reward); *मेहनत-कशी = कठोर परिश्रम (hard work); *मुस्तक़बिल = भविष्य (future); *ख़ुशहाली-ए-अय्याम = ख़ुशहाली भरे दिन (days of prosperity).