'एक विरहिणी बैठी है'
संतप्त तन,
व्याकुल मन,
प्रतीक्षारत नयन,
त्याग कर शयन,
अपने प्रियतम के विरह में,
एक विरहिणी बैठी है ।
युगांतर की परिपाटी में,
कर निज कर्तव्यों का वहन,
पी कर ज्वालाएँ,
आकांक्षाओं का कर दहन,
अपने प्रियतम के विरह में,
एक विरहिणी बैठी है
विक्षिप्त हृदय,
सतत रोदन,
स्याह प्रतीत होते,
कमल-नयन,
शनैः-शनैः होता,
इच्छाओं का बहिर्गमन,
अपने प्रियतम के विरह में,
एक विरहिणी बैठी है ।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




