मातृभूमि की रक्षा के लिए
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
वो साहसी भुजाएँ, जो बंदूकें थामे खड़ी हैं,
मातृभूमि की रक्षा के लिए, हर चुनौती से लड़ी हैं।
नहीं डरते मौत से, नहीं झुकते किसी के आगे,
वीरता की इनकी गाथा, हर युग में है जागे।
इनके हृदय में देशप्रेम की अमर ज्योति जलती है,
हर साँस इनकी, वतन के नाम पर ही पलती है।
ये प्रहरी हैं सीमाओं के, ये रक्षक हैं धरती के,
इनके हौसलों से ही तो महफूज़ हैं हम घर के।
इनकी कुर्बानियों का मोल कभी चुकाया न जाएगा,
ये अमर हैं, इनका नाम सदा ही लिया जाएगा।
ये त्याग की मूरत हैं, ये साहस के प्रतीक,
इनकी वीरता से ही तो रोशन है हर क्षितिज।
इनके पदचिह्नों पर चलकर, हम भी करें वंदन,
इनके जज़्बे से सीखें, देशप्रेम का चंदन।
ये वीर सपूत भारत माँ के, करते हैं जगमग,
इनकी प्रशंसा में हर शब्द है कम, हर नमन है अगम।
शत शत प्रणाम इन वीरों को, जो जीते और मरते हैं देश के लिए,
इनकी गौरव गाथा अमर रहे, हर पीढ़ी के लिए।