कापीराइट गजल
मैं नया साल हूं मेरा भी स्वागत कर लो
खुशियों के संग-संग मुझे बाहों में भर लो
अभी तो अन्जान हो तुम आगाज से मेरे
चलो कुछ देर यहीं पे मस्ती कर लो
अच्छा हूं या बुरा ये तय हो जाएगा कल
अभी तो प्यार से मुझ को बाहों में भर लो
जैसे ही खुलेंगे मेरी बंद किताबों के पन्ने
अपना दामन तब तक खुशी से भर लो
गर नासाज हो तबीयत कल मेरी बात से
उससे निपटने की तैयारी अभी से कर लो
कल की तरह मुझे भी कल जाना होगा
रहना है किसे यहां अब फैसला कर लो
वक्त को कौन भला रोक पाया है यादव
मैं हिस्सा हूं उसका तुम कुछ भी कर लो
नव वर्ष 2025 की हार्दिक शुभ कामनाएँ
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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