कहते हैं —
“अब इस देश में क्या ही बदलेगा?”
“दो चौक और एक डस्टर वाला क्या कर पाएगा?”
पर ज़रा ठहरो…
सोचो…
वो जिसके हाथ में है बस ज्ञान की रेखा,
वो ही तो भविष्य की दिशा लिख पाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
नेता को मंच पर खड़ा होकर
सच्ची बात बोलना सिखाएगा,
जनता की नब्ज़ पहचानना,
वचन निभाना सिखाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
डॉक्टर को सिखाएगा सेवा का भाव,
दर्द में भी धैर्य दिखाएगा,
इंजेक्शन से पहले मुस्कान बाँटना —
ये एक शिक्षक ही तो सिखाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
इंजीनियर को देगा गणना की समझ,
लेकिन साथ ही संवेदना भी सिखाएगा —
ईंटों से शहर बनाना आसान है,
दिलों से समाज बनाना वही सिखाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
वैज्ञानिक को सिखाएगा जिज्ञासा का अर्थ,
हर प्रश्न में खोज की गंध,
जो गिरकर भी उठे प्रयोगशाला में —
वो साहस एक शिक्षक ही तो भर पाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
वकील को तर्क की मर्यादा सिखाएगा,
सत्य को शब्दों में ढालना सिखाएगा,
झूठ और सच्च में फर्क पहचानना —
वो संस्कार भी वही जगाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
बिज़नेस-मैन को सिखाएगा हिसाब से पहले इमानदारी,
मुनाफ़े से पहले ज़मीर का सौदा टालना सिखाएगा,
जिसकी कलम में नीति का पाठ है —
वही तो “नीतिशास्त्र” का जनक कहलाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
पायलट को उड़ान नहीं,
हौसले की ऊँचाई सिखाएगा,
रनवे से पहले,
दिल में आसमान जगाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
सैनिक को सिखाएगा देशभक्ति की पहली पंक्ति,
झंडे को नम करते हुए आँखों की नमी को छुपाना —
वो भी शिक्षक ही तो सिखाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
किसान के बेटे को कलम से जोड़ा,
मिट्टी से उठाकर शब्दों का आसमान दिया,
वो भी किसी गाँव के स्कूल में —
एक शिक्षक ने ही तो किया।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
कलाकार को मंच दिया,
गीत में भाव भरना सिखाया,
ताल, लय और राग नहीं —
संवेदना का सूर सिखाया।
एक शिक्षक ही तो बनाएगा।
ये कहने वाले सुनो —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा!
और जब बेटी कहती है —
“मैं भी कुछ कर दिखाऊँगी,”
तो माँ जैसी मुस्कान लिए
जो उसकी आँखों में विश्वास जगाए —
वो भी एक शिक्षक ही तो है!
ये कहने वाले सुनो —वोजो अक्षर नहीं, किस्मत गढ़ते हैं,
जो अंधेरों में भी उजियारा लिखते हैं।
और जब इतिहास पीछे मुड़कर देखता है,
तो पाता है — हर महान व्यक्ति के पीछे
किसी शिक्षक का साया झिलमिलाता है।
हाँ, एक शिक्षक ही तो बनाएगा —
नेता, डॉक्टर, वैज्ञानिक, कवि, सैनिक, कलाकार,
हर ऊँचाई, हर इमारत की नींव —
बस एक शिक्षक रख पाएगा।
और फिर भी कहते हो —
“दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा?”
अरे वही तो कर दिखाएगा —
जो कोई और नहीं कर पाएगा!
खान सर जैसे जब शिक्षक हों तो,
बच्चा आसमान को छू ही लेगा!
अब मत कहना —
कि दो चौक और एक डस्टर वाला क्या ही कर पाएगा! 🌟


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







