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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आप आये हो ज़ेहन में फिर अभी - प्रेम गीत - वेदव्यास मिश्र

आप आये हो ज़ेहन में फिर अभी,
उम्मीदें हो जगाये मुझमें फिर अभी !
दिल नहीं है सोना या चाँदी सनम,
इसने तुमको फिर पुकारा है अभी !!

क्यूँ ये चेहरा आपका भूलता नहीं,
इस जहाँ में और क्यों जंचता नहीं !!
है जवाब कि मिलके भी करेंगे क्या,
पर ये दिल थकता नहीं है क्यूँ कभी !!

चाँदनी रातों में आये हो जब कभी,
रोकना खुद को हुआ मुश्किल बहोत !!
रात रानी ने कहा रूकना ज़रा,
ले तो लूँ खुशबू दे पाऊँगी तभी !!


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏 आजकल बगिया में फूल कम खिल रहे हैं शायद तितलियाँ इसलिए कम आरही हैं, पर अभी तो एक सुन्दर प्रेम गीत आया है - बहुत ही सुन्दर शब्दों को समाहित किये हुए चांदनी रात का जिक्र और रातरानी की खुशबु ने रचना को मनमोहक बना दिया है उत्तम गीत

Ankush Gupta said

Bahut sundar Geet✍️✍️👏👏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, बहुत-बहुत आशीर्वाद !! आप हमेशा स्वस्थ रहें,मस्त रहें और इस बाग में आपका भी आना-जाना लगा रहे !! तितलियाँ तो हर दिन आती हैं, क्या करें हमारा भी आना ज़रा कम हो पा रहा है ..थोड़ी व्यस्तता के चलते !! वो तो हवाओं के रूख ने बताया कि तितली आई है आज मेरी वाली..उसकी खुशबू..माशाल्लाह.. !! कभी-कभी सोचता हूँ..अगर ये तितलियाँ न होतीं तो..ये संसार कितना बेरंग होता ना 💜💜

वेदव्यास मिश्र said

Ankush Gupta जी, हृदयाभिनंदन बन्धु !! स्वागतम् वेलकम !!

Muskan Kaushik said

Bahut pyara geet prem se bhara hua

वेदव्यास मिश्र said

Muskan Kaushik जी, सहृदय आभार नमन मैम जी 🙏🙏💜💜🙏🙏

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