तीर खाकर एक परिंदा फड़फड़ाता रह गया।
बेवफ़ा कह कर मुझे वो आजमाता रह गया।।
पूछा जब किसी ने बेतहासा हँसने का सबब।
नाम कातिल का लब पर आता आता रह गया।।
उम्र आधी कट गई साथ इतना ही लिखा होगा।
उम्र बाकी इश्क की किस तरह गंवाता रह गया।।
दुनिया में साज़िशें चलती रहती किसको पता।
कब किसकी आई 'उपदेश' वो बताता रह गया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद