बन्द आँखें हुई ख्वाब आने लगे।
तुम्हारे बाजुओं में सिमटने लगे।।
जुबां शांत थी मन में ज़ज्बात थे।
धड़कने बढ़ गई हम लिपटने लगे।।
फिर प्रेम सागर हिलोरे मरने लगा।
हल्के से दबाया जो चहकने लगे।।
दिल की कली ने खोल दी पंखुरी।
फूल बनकर खिले तो महकने लगे।।
कर्म का गर्म एहसास मिलने लगा।
बर्फ से भाव दिल में पिघलने लगे।।
आज अनुभूति हृदय को ऐसी हुई।
कल्पनाओ में 'उपदेश' बिचरने लगे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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